गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

संगदिल मिलते हे हजारो, कोई अहले दिल तो मिले,

हूँ मर मिटने को हाज़िर , मगर कोई कातिल तो मिले

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें