शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

जिंदगी एक dagar

ये जिंदगी एक डगर हे तू अपने कदम बढ़ाये जा
जमाने के अंधेरे में तू प्यार का दीप जलाये जा

मानकी उफान पर हे समंदर
लहरों में भी उन्माद का हे मंजर
तू लहरों से लड़कर, किश्ती को साहिल पर लगाये जा
ये जिंदगी एक डगर हे तू अपने कदम बढ़ाये जा

बुझता हा दिया लौ के थम जाने पर
डूबता हा सूरज शाम के आ जाने पर
तू शाम के माथे पर रौशनी का तिलक लगाये जा
ये जिंदगी एक डगर हे तू अपने कदम बढ़ाये जा

पथ में आते हा कुछ क्षणिक सुखद ठहराव
पथ में आते हे कुछ क्षणिक दुखद ठहराव
तू इन ठहरावो को भुलाकर नई राह बनाये जा
ये जिंदगी एक डगर हे तू अपने कदम बढ़ाये जा

वक्त के थपेड़े धुंधला देते हा सपनो को
धूल भरी आंधियां उजाड़ देती हे उपवनो को
इस उजड़े उपवन में तू नया गुलशन खिलाये जा
ये जिंदगी एक डगर हे तू अपने कदम बढ़ाये जा

बुरे वक्त में अपने भी छोड़ जाते हे साथ
नही मिलता कोई सहारा देने वाला हाथ
घर बदल जाते हा सूने मकानों में
तू सूने मकानों में नया आशियाँ बसाए जाया

ये जिंदगी एक डगर हे तू अपने कदम बढ़ाये जा
वक्त के थपेड़ो को भुलाकर, नया इतिहास रचाए जा



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