शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

बचपन का ज़माना


बचपन का ज़माना होता था, खुशियों का खजाना होता था
चाहत चाँद को पाने की, दिल तितली का दीवाना होता था
न सुबह की खबर  थी,    न शाम का ठिकाना होता था
थक हार कर स्कूल से आना, फिर खेलने भी जाना होता था
दादी की कहानी होती थी , परियों का फ़साना होता था
बारिश में कागज की किश्ती थी, हर मौसम सुहाना होता था
हर खेल में साथी थे, हर रिश्ता निभाना होता था
पापा की वो डांटे    मम्मी का मनाना होता था
गम की जुबान न थी, न ज़ख्मो का पैमाना होता था
अब नहीं रही वो जिंदगी, जैसा बचपन का ज़माना होता था

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