INDERJEET PANWAR
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मंगलवार, 1 दिसंबर 2009
किस गली चल रहा में, न अपना कोई ठिकाना ह
महल संवारे ह औरो की खातिर, न अपना कोई आशियाना हे
1 टिप्पणी:
CS Devendra K Sharma "Man without Brain"
1 दिसंबर 2009 को 2:17 pm बजे
wah sir wah.....
chalte rahiye
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