बुधवार, 6 जनवरी 2010

उन अधखुले होठो से मेरा नाम निकला था

दुआ उन्होंने काबुल की, प्यार का पैगाम निकला था

आज तक पीकर बेसुध हूँ,

उन आँखों से जो जाम निकला था

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