मंगलवार, 23 मार्च 2010

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे


अफसर निकृष्ट , नेता भरष्ट चमचो ने फैलाया काला बाज़ार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे



न्याय बिकता कानून झुकता, मजबूर खड़ा पहरेदार हे

नोटों का सारा खेल, अपराधियों की भरमार हे

रक्षक बना भक्सक , वर्दी ने भी किया शर्मसार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे



बहुएं जलती, बेटियां मरती, ममता भरती चीत्कार ,

नेतिकता का पतन हुआ, बहनों ली इज्जत होती तार-तार हे

इंसानियत के भेडिये जिश्मो का करते व्यापर हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे

सच्चाई रोती इमां सिसकता, बेईमानी की होती जय-जयकार हे

देशभक्त हे शीश कटाते, गद्दारों का होता सत्कार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे



जात-पात पर झगडे होते, साम्प्रदायिकता का फैला हे

मजबूर और मासूम पिसता, नेताओ ने बरपाया हे कहर

लाशे रोज बिछती यहाँ, खिचती रोज तलवार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हें



एक तू था जो लड़ा सच्चाई बचाने को

एक ये हे, जो लड़ते हे सच्चाई मिटाने को

शैतान छिपा बैठा साधू के वेश में, करता अत्याचार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे



एक-एक इंच भूमि हद्पता दुश्मन, खामोश बैठी सरकार हे

बम्ब धमाके रोज होते, आतंकवाद भरता हुंकार हे

मिटा भी दो अब ये जुल्म, भारत भूमि की अब यही पुकार हे

गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे

3 टिप्‍पणियां:

  1. sir gandhiji ki pida ko bahot ache se abhivyakt kiya hai.........asha hai apki awaz gandhi ji tak pahuchegi!!!

    bahut achhi rachna ke liye badhai..........prayas jaari rakhen

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  2. एक तू था जो लड़ा सच्चाई बचाने को

    एक ये हे, जो लड़ते हे सच्चाई मिटाने को

    शैतान छिपा बैठा साधू के वेश में, करता अत्याचार हे

    गाँधी तेरे देश में मचा हाहाकार हे

    सशक्त रचना .....!!

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